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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अयोध्या विवादित ज़मीन पर बनेगा मंदिर, मस्जिद के लिए मिलेगी अलग ज़मीन

करीब 134 साल पुराने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्यक्षता में 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस गोगोई ने करीब 45 मिनट तक फैसला पढ़ा और विवादित ज़मीन पर रामलला के पक्ष में निर्णय सुनाया। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और केन्द्र सरकार इसकी 3 महीने में योजना तैयार करें। संविधान पीठ ने कहा कि 02.77 एकड़ जमीन केन्द्र सरकार के अधीन ही रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही किसी जगह अलग से पांच एकड़ ज़मीन देने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि रामलला ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने पर विचार करें।

निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड के दावे खारिज

फैसला पढ़े जाने के दौरान शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले। या तो केन्द्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दें। कोर्ट ने कहा कि हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं। अयोध्या मामले में मुसिल्म पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, ‘हम सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।’

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फैसले से नाखुश

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, ‘अयोध्या मामले का फैसला विरोधाभासी है। हम जजमेंट की पूरी कॉपी पढ़ने के बाद पुनर्विचार याचिका की मांग करेंगे। उधर, अयोध्या ​ज़मीन विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘हम फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। मामला 5 एकड़ जमीन का नहीं है। हम मस्जिद किसी को दे नहीं सकते, मस्जिद को हटाया नहीं जा सकता। हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे। पूरे मुल्क की आवाम से अपील है कि शांति बनाए रखें। इसे लेकर कहीं भी किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। यदि हमारी समिति मान जाती है तो हम पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।

पीएम ने शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखने की अपील की

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली प्रतिक्रिया ट्विटर के जरिए सामने आई है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट संदेश में लिखा, ‘देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।’

SC ने अयोध्या मामले में सुनाया फैसला, जानें राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में कब क्या हुआ…

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अयोध्य ज़मीन विवाद मामले में लगातार 40 दिन तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली थी, उसके बाद अब यह फैसला आया है। संविधान पीठ ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के अब तक के इतिहास में ऐसे दो मामले हैं जिनकी रिकॉर्ड दिनों तक अदालत में सुनवाई चलीं। पहला मामला केशवानंद भारती मामला था, जिसकी सुनवाई 68 दिन चली। इसके बाद अयोध्या विवाद मामला है जिसकी कोर्ट में 40 सुनवाई की गई।

 

Raj Kumar

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