कल्पना चावला को प्यार से ‘मोंटू’ कहकर बुलाते थे घरवाले, अंतरिक्ष के लिए कही थी ये बात

Views : 10199  |  4 minutes read
Kalpana-Chawla-Biography

जब भी हमारे बीच महिलाओं द्वारा किए गए ऐतिहासिक कारनामों की बात होती है तो उनमें कल्पना चावला का नाम जरूर लिया जाता है। अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला कल्पना दुनिया भर के करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन अंतरिक्ष की दुनिया में उनका योगदान हमेशा याद किया जाता रहेगा। 17 मार्च को कल्पना चावला की 61वीं बर्थ एनिवर्सरी है। ऐसे में इस ख़ास मौके पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में दिलचस्प बातें..

अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी ​थी कल्पना

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में श्री बनारसी लाल चावला और संजयोती चावला के घर में हुआ था। चार भाई-बहनों में सबसे छोटी होने के कारण कल्पना को घर में सब प्यार से ‘मोंटू’ कहकर बुलाते थे। शुरू से ही विज्ञान में काफी रुचि रखने वाली कल्पना की शुरुआती पढ़ाई टैगोर पब्लिक स्कूल, करनाल में हुई। इसके बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से अपना ग्रेजुएशन कोर्स पूरा किया।

घरवाले चाहते थे कल्पना बने डॉक्टर या टीचर

कल्पना चावला ने क्लास 8 में ही अपने पिता के सामने इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की, लेकिन उनके पिता शुरू से ही उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाने का सपना संजोए थे। कल्पना बचपन में अपने पिता से कुछ ऐसे सवाल पूछा करती, जिससे पिता भी उसकी दिलचस्पी को समझने लगे थे। वो अक्सर अपने पिता से पूछती कि ये अंतरिक्षयान इतना ऊपर आकाश में कैसे उड़ पाते हैं? क्या मैं भी इनकी तरह उड़ान भर सकती हूं?

पढ़ाई के साथ खेलों में भी रही अव्वल

कल्पना चावला कॉलेज के दिनों में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी सक्रिय रहती थी। वह बैडमिंटन खेलने की बड़ी शौकीन थीं। इस के अलावा कल्पना ने जूड़ो-कराटे भी सीखा था। लेकिन अपने सपनों की दुनिया में जाने के लिए वह वर्ष 1982 में अमेरिका चली गई, जहां यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली। कल्पना ने आगे चलकर सीप्लेन, मल्टी इंजन एयर प्लेन और ग्लाइडर के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस भी हासिल किया।

कल्पना की कही बात एक दिन हो गई सच

41 साल की उम्र में कल्पना चावला की जिंदगी की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी आखिरी साबित हुई। कल्पना ने एक बार कहा था कि “मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए मरूंगी।” अपने पहले सफल मिशन के बाद कल्पना ने अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से भरी।

16 दिन का ये मिशन आखिरकार 1 फरवरी, 2003 को मातम में बदल गया, जब खुद कल्पना की कही बात ही सच साबित हो गईं। इतिहास में इस दिन को एक ‘युग का अंत’ माना जाता है। कल्पना चावला कोलंबिया अंतरिक्ष यान से अपने 6 साथियों की टीम के साथ पृथ्वी की कक्षा में लौट रही थी, तभी उनका यान टूटकर बिखर गया और देखते ही देखते अंतरिक्ष यान के टुकड़े टेक्सास शहर पर बरसने लगे थे।

अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय तक स्पेसवॉक करने का वाली महिला यात्री हैं सुनीता विलियम्स

COMMENT