अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सभी सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत है, अधिकार नहीं। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत सभी सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, लेकिन मानदंडों को लेकर अपवाद हो सकता है।
मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को लेकर इस अदालत के निर्णयों के क्रम में निर्धारित कानून के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत सभी सरकारी रिक्तियों में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। हालांकि, एक मृत कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की पेशकश उक्त मानदंडों में अपवाद है। अनुकंपा का आधार एक रियायत है, अधिकार नहीं।’
एक मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया और इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक जज की बेंच के आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश में राज्य सरकार और पुलिस विभाग को ग्रेड-III सेवा में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए एक महिला की उम्मीदवारी पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिंगल जज की बेंच के आदेश को भी बहाल कर दिया, जिसे खंड-बेंच ने खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय की एकल-न्यायाधीश बेंच ने महिला की ग्रेड-III पद पर उम्मीदवारी को खारिज कर दिया, क्योंकि उसका पति ग्रेड-IV पद पर कार्यरत था। महिला के पति की मौत हो चुकी है।
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