Anantnag is the only seat in the country where general elections will be held in three phases.
देश में 17वीं लोकसभा के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है। हाल में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा देशभर में होने वाले इस चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गयी। इसके ऐलान के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। 2019 के लोकसभा कुल सात चरणों में सम्पन्न करवाए जाएंगे। ये चुनाव 11 अप्रैल से शुरु होकर 19 मई तक चलेंगे। देश में जम्मू-कश्मीर राज्य की अनंतनाग संसदीय सीट एकमात्र ऐसी सीट है, जहां चुनाव तीन चरणों में सम्पन्न कराया जाएगा। जहां देश की अन्य लोकसभा सीटों के लिए एक लोकसभा सीट पर एक चरण में चुनाव सम्पन्न होगा वहीं, अनंतनाग की एक संसदीय सीट पर तीन चरणों में मतदान होना है। ऐसे में यह जानना बड़ा रोचक हो जाता है कि आखिर इस सीट पर तीन चरणों में मतदान होने की वजह क्या है? अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में ऐसी कौनसी समस्या हावी है जिसके कारण यहां एक चरण में वोटिंग नहीं हो सकती? आइए इन सवालों के जवाब यहां जानते हैं..
जम्मू-कश्मीर राज्य की अनंतनाग संसदीय सीट पर तीसरे चरण (23 अप्रैल), चौथे चरण (29 अप्रैल) और पांचवें चरण (6 मई) को मतदान होगा। यहां के सभी 714 मतदान केंन्द्रों को क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है। इस सीट पर तीन चरणों में चुनाव कराए जाने का मकसद साफ नज़र आता है। दरअसल, अनंतनाग सीट सुरक्षा के लिहाज से देश की सबसे संवेदनशील संसदीय सीट मानी जाती है। इस सीट पर चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर सरकार और केन्द्रीय गृह मंत्रालय से इसके अतिसंवेदनशील होने के मुद्दे पर चर्चा की। इसके बाद तय हुआ कि अनंतनाग में चुनाव न कराया जाना और जम्मू-कश्मीर की बाकी 5 संसदीय सीटों पर चुनाव कराने पर देश के भीतर और बाहर एक गलत संदेश जाएगा। अगर ऐसा होता तो अनंतनाग के लोग इसे बड़ा मुद्दा बना सकते थे। लेकिन अब निर्वाचन आयोग यहां तीन चरणों में चुनाव करवाने जा रहा है।
हालिया दिनों में पुलवामा और शोपियां को सबसे ज्यादा आतंकी गतिविधि वाला क्षेत्र माना गया है। ये दोनों ही क्षेत्र अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। पुलवामा में हाल ही सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी अटैक में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। निर्वाचन आयोग ने माना कि अनंतनाग में चुनाव को स्थगित किया जाता, तो वहां के लोगों के बीच बेहद नकारात्मक संदेश जाता। हाल ही में केन्द्र सरकार ने कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी को गैर-कानूनी संस्था घोषित किया और पिछले 15 दिन में इसके 400 से ज्यादा नेताओं और काडर को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने और मदद करने के आरोप हैं।
अनंतनाग जिला दक्षिण कश्मीर में आता है और यह राज्य की राजधानी श्रीनगर से 53 किलोमीटर की दूरी पर है। इसे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन का गढ़ माना जाता है। केन्द्र सरकार को इस बात की आशंका थी कि जमात की तरफ से इन आतंकी संगठनों को चुनाव के दौरान अशांति फैलाने में मदद की जा सकती है। स्थानीय प्रशासन ने निर्वाचन आयोग को इस बारे में जानकारी दी थी। गौरतलब है कि शोपियां में साल 2018 में सेना ने मुठभेड में 43 आतंकवादी मार गिराए थे। हाल-फिलहाल शोपियां आतंकी संगठनों का सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है। ख़बरों के मुताबिक़, घाटी में इस समय करीब 350 आतंकी सक्रिय हैं, इनमें से 200 से अधिक आतंकी दक्षिण कश्मीर में डेरा डाले हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अनंतनाग परंपरागत रूप से पीडीपी का सपॉर्ट बेस रहा है। पीडीपी के भाजपा से गठबंधन के बाद यहां के लोग पीडीपी से काफी नाराज भी हुए थे। 16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में इस सीट से पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने 53.41 प्रतिशत वोटों से चुनाव जीता था। 2016 में महबूबा के पिता और पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत के बाद महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री बनी इस वजह से उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी थी। महबूबा के सीएम बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी लेकिन अब तक उपचुनाव नहीं हो सके।
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जुलाई 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद यहां के हालात इतने खराब होते चले गए कि चुनाव आयोग अब तक भी उपचुनाव नहीं करा सका। अनंतनाग में 2017 में उपचुनाव का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन बाद में उसे भी रद्द करना पड़ा था। 1996 के लोकसभा चुनाव में अनंतनाग संसदीय सीट पर अंतिम बार 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। इसके बाद से अब तक यहां मत प्रतिशत लगातार गिरता जा रहा है।
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