हलचल

क्या है S-400 मिसाइल सिस्टम, जिसका विकल्प मुहैया कराने के लिए अमेरिका भारत के साथ काम करेगा

अमेरिकी पेंटागन के उच्च अधिकारी ने कहा कि अमेरिका एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली का संभावित विकल्प प्रदान करने के लिए भारत के साथ काम कर रहा है, जिसे भारत ने पिछले साल अक्टूबर में रूस के साथ 40,000 करोड़ रुपये की लागत के मिसाइल सिस्टम की खरीद के करार पर हस्ताक्षर किए थे। भारत रूस से इस सौदे पर अमेरिका की चेतावनियों से भी नहीं डरा था।

रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर इस सौदे के लिए भुगतान संबंधी व्यवस्था पर आशंकाएं जाहिर की थीं।

कांग्रेस में हुई एक सुनवाई के दौरान इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी अफेयर्स के असिस्टेंट डिफेंस सेक्रेटरी रैंडाल श्राइवर ने कहा कि ”हम उन्हें (भारत को) एक वैकल्पिक विकल्प मुहैया कराना चाह रहे हैं। हम उनके साथ संभावित विकल्प (एस -400) उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं।”

रूस से यह प्रणाली हासिल करने की स्थिति में भारत पर प्रतिबंध की संभावना के बारे में पूछे जाने पर श्राइवर ने कहा कि अगर नई दिल्ली रूस से एस-400 प्रणाली खरीदना पसंद करती है तो ‘‘यह एक दुखद फैसला होगा।’’

क्या है S-400 मिसाइल सिस्टम

यह एक मिसाइल प्रणाली का नाम है जो S-400 ट्रायम्फ कहलाता है। इसे प्रणाली को नाटो संगठन के सदस्य देश SA-21 ग्रोलर के नाम से पुकारते हैं।

इस मिसाइल सिस्टम में लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात होती है जिसे रूस ने बनाया है।
S-400 प्रणाली का सबसे पहले उपयोग रूस ने 2007 में किया था जो कि S-300 का अपडेटेड वर्जन है।

इस मिसाइल प्रणाली को अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है।

रूस के इस मिसाइल सिस्टम की एक खूबी यह कि इसमें कई सिस्टम एक साथ लगे होते है जिसके कारण इसकी सामरिक क्षमता काफी मजबूत मानी जाती है। इसमें अलग-अलग काम करने वाले कई राडार, स्वयं लक्ष्य को चिन्हित करने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सेंटर एक साथ होने के कारण S-400 की विश्व के कई देशों में मांग बरकरा है।

इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है। 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है।

S-400 ट्रायम्फ मिसाइल एक साथ 100 हवाई खतरों को पहचान सकता है और अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को एक साथ भेद सकता है।

रूस के साथ S-400 मिसाइल सिस्टम पाने वाले देशों में चीन और तुर्की है और रूस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला भारत तीसरा देश है।

Rakesh Singh

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

9 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

9 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

9 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

9 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

10 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

10 months ago