हलचल

370 का मसौदा तैयार करने से आंबेडकर ने कर दिया था इनकार फिर अयंगर को मिली थी जिम्मेदारी, जानें कौन थे अयंगर

अनुच्छेद 370 इन दिनों चर्चा का​ विषय बना हुआ है। इसके प्रभावी होने से लेकर इसके खत्म होने तक विभिन्न विषयों पर इन दिनों बातें हो रही हैं। क्या आप जानते हैं कि इस अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी पहले बाबा भीमराव आंबेडकर को दी गई थी लेकिन उन्हें यह ठीक नहीं लगा था और उन्होंने इसके लिए इनकार कर दिया था। उनके बाद गोपालस्वामी अयंगर को यह जिम्मेदारी दी गई थी। आइए आपको बताते हैं कि बाबा साहब ने इसके लिए क्यों मना किया और अयंगर कौन थे…।

संविधान निर्माता और भारत के पहले कानून मंत्री बाबा भीमराव आंबेडकर अनुच्‍छेद 370 के विरोधी थे। शेख अब्‍दुल्‍ला को अनुच्‍छेद 370 पर लिखे पत्र में आंबेडकर ने कहा था कि आप चाहते हैं कि भारत जम्‍मू-कश्‍मीर की सीमा की रक्षा करे, यहां सड़कों का निर्माण करे, अनाज सप्‍लाई करे। साथ ही, कश्‍मीर को भारत के समान अधिकार मिले, लेकिन आप चाहते हैं कि कश्‍मीर में भारत को सीमित शक्तियां मिलें। ऐसा प्रस्‍ताव भारत के साथ विश्‍वासघात होगा, जिसे कानून मंत्री होने के नाते मैं कतई स्‍वीकार नहीं करूंगा।

आंबेडकर के मना करने के बाद शेख अब्‍दुल्‍ला परेशान हो गए और समस्या के समाधान के लिए नेहरू के पास पहुंचे। इसके बाद नेहरू के निर्देश पर गोपालस्‍वामी अयंगर को मसौदा तैयार करने के लिए कहा गया।

गोपालस्‍वामी अयंगर के बारे में बात करें तो उनका जन्‍म 31 मार्च 1882 को तमिलनाडु में हुआ था। 1905 में वह मद्रास सिविल सेवा में शामिल हुए और डिप्‍टी कलेक्‍टर और राजस्‍व बोर्ड के सदस्‍य सहित कई पदों पर रहे। वह संविधान सभा के सदस्‍य भी थे। इसके साथ ही वह उस प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख भी थे जिसने कश्‍मीर पर लगातार विवाद में संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया। अयंगर को 1937 में दीवान बहादुर की उपाधि से सम्‍मानित किया गया था। 1941 में, किंग जॉर्ज षष्‍टम ने उन्हें नाइटहुड की उपाधि दी। वह जम्‍मू-कश्‍मीर के महाराज हरि सिंह के दीवान भी रहे। 10 फरवरी, 1953 को उनका देहांत हो गया।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नेहरू ने पटेल को सूचित किए बिना ही शेख अब्‍दुल्‍ला के साथ अनुच्‍छेद 370 के मसौदे को अंतिम रूप दिया। पटेल इससे अनभिज्ञ थे। संविधान सभा की चर्चा में मसौदे को पारित करवाने की जिम्‍मेदारी गोपालस्‍वामी अयंगर को मिली लेकिन यह प्रस्ताव पसंद नहीं किया गया और सदस्यों ने इसे फाड़ दिया। उस समय प्रधानमंत्री नेहरू अमेरिका में थे। सरदार और अब्‍दुल्‍ला के रिश्‍ते ठीक नहीं थे। ऐसे में अयंगर ने मदद के लिए वल्‍लभभाई पटेल की ओर रुख किया। उन्‍होंने पटेल से कहा कि नेहरू ने शेख को उनके अनुसार ही फैसले लेने को कहा है। इस कारण वल्‍लभभाई पटेल ने मसौदे को मंजूरी दे दी।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

9 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

9 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

9 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

9 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

10 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

10 months ago