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G-20 समिट क्या है, कैसे बना, क्या करता है…सारे सवालों के जवाब यहां मिलेंगे

जापान के ओसाका में जी-20 समिट (शिखर सम्मेलन) के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रवाना हो चुके हैं। जी-20 समिट 2019, 28 से 29 जून को होगा। समिट में पीएम मोदी फ्रांस, जापान, इंडोनेशिया, अमेरिका और तुर्की जैसे कई बड़े देशों के साथ अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

हर बार की तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मोदी की मीटिंग इस बार फिर चर्चा में रह सकती है। ये तो हुई वो खबर जो हर साल समिट से पहले सब जगह चलती है। लेकिन हम आपको इन कौन किससे मिलेगा, कब मिलेगा बताने के बजाय जी-20 समिट के बारे में वो सब कुछ बताएंगे जो आपको जानना जरूरी है।

जी-20 समिट क्या है ?

– G20 का पूरा नाम “ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी” है। इसका मतलब है वैश्विक बाजार में काम करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाएं या इकोऩॉमी एक सम्मेलन के रूप में मिलती है और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करती है। जी-20 में जी-7 और ब्रिक्स देश शामिल हैं।

– अंतरराष्ट्रीय बाजार में आर्थिक चर्चा और सहयोग के लिए जी-20 को प्रमुख मंच माना जाता है। यहां शामिल होने वाले देश वैश्विक जीडीपी के 80% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।

– वैश्वीकरण के बढ़ने के साथ कई मुद्दे अधिक जटिल होते जा रहे हैं ऐसे में बीते कुछ सालों में जी-20 शिखर सम्मेलन ने मैक्रो-इकोनॉमी और व्यापार पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

– इसके अलावा सम्मेलन में कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है जो सीधे तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। जैसे जलवायु परिवर्तन और एनर्जी, स्वास्थ्य, आतंकवाद आदि।

– जी-20 इन वैश्विक मुद्दों को हल करने की दिशा में योगदान देने का एक माध्यम है जहां सभी देश आपसी सहमति से किसी मसले का हल निकालते हैं।

जी-20 समिट में कौनसे देश शामिल होते हैं ?

जी-20 में 19 देश और एक यूरोपीय संघ (ईयू) के नेता शिरकत करते हैं। 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, दक्षिण अफ्रीका गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। इसके अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी जी-20 में नेताओं के साथ शामिल होते हैं। जी-20 देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर साल में दो बार मिलते हैं।

जी-20 समिट क्यों इतनी महत्वपूर्ण मानी जाती है ?

ब्राजील, रूस, भारत और चीन (ये BRICS देश भी हैं) की आर्थिक नीतियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी कई नए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। इससे पहले जी-7 देश इस तरह की चर्चा किया करते थे। जी-20 का प्राथमिक उद्देश्य भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकटों को रोकना और वैश्विक आर्थिक एजेंडे को आकार देना है।

जी-7 के नेता ब्रिक्स देशों के बिना ही वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा कर फैसले लेते थे। लेकिन समय के साथ जी-7 देश कई देशों की जरूरतों को पूरा करने में अधिक अहम हो गए। उदाहरण के लिए, रूस यूरोप में अधिकांश नेचुरल गैस पहुंचाता है। चीन संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए बहुत अधिक प्रोडक्शन करता है। भारत कई नई तकनीकी सेवाएं देता है।

जी-20 2019 की क्या थीम है ?

जी-20 समिट 2019 के लिए आठ मुख्य मुद्दे तय किए गए हैं जिनमें ग्लोबल इकोनॉमी, ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट, इनोवेशन, एनवायरनमेंट एंड एनर्जी, एंप्लॉयमेंट, डेवलपमेंट और हेल्थ शामिल हैं। जबकि जी-20 को मूल रूप से वैश्विक तौर पर किसी भी वित्तीय संकट का हल निकालने के लिए बनाया गया था लेकिन आज इसका मुख्य मिशन वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा करना है।

sweta pachori

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