कुलभूषण जाधव जो कि भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी थे उन्हें पाकिस्तान की सैन्य अदालत में मौत की सजा सुनाई गई थी। उन पर पाकिस्तान की जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस पर भारत पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव के केस में “कांसुलर एक्सेस” की मांग करता आया है। इसी केस में फिलहाल दोनों पक्षों के बीच आगे की कार्यवाही की जा रही है। लेकिन हमें समझने की जरूरत है कि यह कांसुलर एक्सेस होता क्या है?
1961 का वियना कन्वेशन
कांसुलर एक्सेस को समझने से पहले हमें इस कन्वेशन को समझना होता। दुनिया भर के आजाद देशों ने 1961 में आपसी राजनयिक संबंधों को लेकर वियना कन्वेशन किया था। इसमें हुआ ये था कि कन्वेशन में शामिल देशों ने एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
इस संधि में राजनियकों को विशेष अधिकार प्रोवाइड किए गए थे। संधि का मतलब यहा था कि राजनियकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों को इसमें शामिल किया गया था। इस संधि के तहत मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनियकों को खास दर्जा देता है। इस संधि का ड्राफ्ट तैयार किया था इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने और 1964 में यह संधि पूरी तरह से लागू की गई थी।
फरवरी 2017 में तक इस संधि पर कुल 191 देशों ने हस्ताक्षर कर दिए थे। संधि के तहत कुल 54 आर्टिकल्स को शामिल किया गया था। संधि का प्रमुख प्रावधान यह है कि कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है और इसके साथ ही राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स भी नहीं लगाया जा सकता है। इंटरनेशनल कोर्ट में इटली के नौसेना के अफसरों को भारत द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मामला इसी संधि के तहत चला था।
वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 में कहा गया है कि जिन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है उन्हें बिना किसी देरी के अपने दूतावास या राजनयिक को उस गिरफ्तारी के बारे में सूचित करते हुए नोटिस दिया जाना चाहिए।
यदि हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिक इस तरह के अनुरोध करते हैं तो पुलिस को दूतावास या राजनयिक को उस सूचना को फैक्स करना चाहिए, जो बाद में व्यक्ति को देख सकती है। राजनयिक को नोटिस फैक्स के रूप में दिया जाना चाहिए जिसमें व्यक्ति का नाम, गिरफ्तारी का स्थान और यदि संभव हो तो, गिरफ्तारी या हिरासत के कारण के बारे में बताया जाना चाहिए।
जाधव मामले में भारत के लिए यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
जाधव को एक गुप्त मुकदमे में मौत की सजा मिली थी। अगर भारत को जाधव तक कांसुलर एक्सेस मिल जाता है, तो वह मामले के विभिन्न पहलुओं पर जाधव को सलाह देकर पाकिस्तानी मामले को खत्म कर सकता है। कॉन्सुलर एक्सेस का मतलब यह भी हो सकता है कि जाधव के अपने विचार सुनने को मिले। पाकिस्तान ने जाधव के दबाव में एक वीडियो कबूलनामा जारी किया था। यह वीडियो एक स्टंट हो सकता है ताकि भारत को कांसुलर एक्सेस से मना किया जा सके।
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