गधा मानव विकास की यात्रा में बड़ी भूमिका अदा कर चुका है, जिस प्रकार से प्राचीनकाल में बैल खेती और भार वहन का माध्यम था। उसी प्रकार गधा भी एक समय भार वहन का माध्यम था। वक्त के साथ उनकी कदर कम होती गई, क्योंकि अब भार ढोने के लिए मशीनें आ गई, जो उनसे काफी तेजी से कार्य करती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मौजूदा समय में कई देशों में गधों की मांग बढ़ने से इनकी तस्करी की जा रही है। दरअसल इन दिनों कुछ देशों में गधों के चमड़े की मांग बढ़ती जा रही है। उनमें चीन प्रमुख देश है जहां गधों के चमड़े की मांग बढ़ रही है जो उनकी कालाबाजारी को भी बढ़ा रही है।
गधे का चमड़ा और अन्य उपयोग के कारण केन्या के गांवों में गधों की चोरी बढ़ गई है, यहीं की तस्कर गैंग किराए के गुर्गों को चोरी के लिए पैसे देते हैं। गधे यहां के गरीब किसानों के आजीविका के साधन हैं, तस्करी से उनका जीवन प्रभावित हो रहा है। दरअसल किसानों के लिए ये गधे खेती और परिवहन के साधन भी है। चीन जैसे देश में गधों के चमड़े की मांग दिनों दिन बढ़ रही है। इससे इनकी तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है।
पिछले कुछ सालों से केन्या, चीन को गधों के चमड़े की सप्लाई कर रहा था, लेकिन अब इनकी मांग ओर तेजी से बढ़ रही है। केन्या में हेल्थ फूड और पारंपरिक दवाओं को बनाने में भी गधों के खाल का उपयोग किया जाता है। इन खालों के उबालने से बनने वाले जिलेटिन की मांग चीन में बहुत ज्यादा है। जिसे चीन में इजीयो के नाम से जाना जाता है। इसका इस्तेमाल बढ़ती उम्र के असर को कम करने और सेक्स की ताकत बढ़ाने के लिए परंपरागत चिकित्सा में होता है।
वर्ष 2016 में केन्या ने गधों के लिए चार बूचड़खाने खोले हैं, जो इसके पड़ौसी देश की तुलना में कहीं अधिक बूचड़खाने हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां हर रोज 1000 गधों को मारा जाता है। यही नहीं अब इनकी बढ़ती मांग के कारण पाकिस्तान से इन गधों की खरीदारी चीन करता है।
चीन में पिछले कुछ वर्षों से इजीयो की मांग दस गुना बढ़कर 6,000 टन सालाना हो गई है, इस वजह से अफ्रीका में भी गधों की मांग भी बढ़ गई है। अफ्रीका में गधों की आबादी 1990 में 1.1 करोड़ हुआ थी, जो संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा आंकड़ों में घटकर अब 45 लाख रह गई है।
इजीयो का प्रयोग ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाने वाली चीनी दवाई के तौर पर किया जाता है। यह पहले अमीर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय औषधि थी। यह गोलियों के रूप में मिलता है जिसे पानी में घोल कर पिया जाता है या फिर एंटी एजिंग क्रीम में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन वर्तमान में यह चीन के तेजी से बढ़ते मध्यवर्ग और विदेशों में रहने वाले चीनियों में लोकप्रिय हो गया है। जहांं वर्ष 2000 में इजीयो की कीमत 30 डॉलर प्रति किलोग्राम थी, जो अब बढ़कर 780 डॉलर प्रति किलोग्राम हो गई है।
इनकी बढ़ती तस्करी और संख्या कम होने से गधों के दाम बढ़ गए हैं। एक संस्था के शोधकर्ताओं का कहना है कि गधों को मारे जाने की दर उनके पैदा होने की दर से पांच गुनी ज्यादा है अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2023 तक केन्या से गधे पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।
केन्या के प्रधान पशु अधिकारी ओबादियाह न्जागी कहते है कि मैं चिंतित हूं, गिनती गिर रही है और उसकी भरपाई संभव नहीं। पशु संरक्षण ग्रुप और गधों के मालिक केन्या सरकार से गधों के चमड़े का व्यापार रोकने और बूचड़खानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं। नाइजीरिया से लेकर सेनेगल और बुरकिना फासो तक में ऐसे कदम उठाए गए हैं, नैरोबी के पशु कल्याण संस्था के प्रमुख फ्रेड ओचांग कहते हैं कि गधे लाखों किसान परिवारों का सहारा हैं, खेती से लेकर बच्चों को स्कूल पहुंचाने में लेकिन अब वे खतरे में हैं। विकासशील देशों में करीब 60 करोड़ लोग आजीविका चलावने के लिए गधों, खच्चरों और घोड़ों पर निर्भर हैं।
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