An Afghan policeman aims his weapon at photojournalists Paula Bronstein (2L) and Kevin Frayer (L) as he prevents them from approaching the area where three gunmen stormed a bank in Kabul on August 19, 2009. The Afghan government came under severe criticism for attempting to ban media coverage of escalating Taliban violence in case it deters people from voting in Thursday's elections. TOPSHOTS AFP PHOTO/PEDRO UGARTE
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले पत्रकारिता का पेशा आसान काम नहीं है जिसमें जोखिम और मेहनत दोनों बराबर रूप से लगती है। लोगों तक सच्चाई पहुंचाने के इस काम में कई बार जान भी दांव पर लगानी पड़ती है जिसमें आपकी गारंटी कोई लेने को तैयार नहीं होता है।
अफगानिस्तान, सीरिया जैसे देशों के बाद भारत का ऐसी लिस्ट में आना शर्मनाक बात है। भारत पत्रकारिता के लिहाज से दुनिया का 5वां सबसे असुरक्षित देश माना जाता है। हाल ही में ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर’ नाम की संस्था द्वारा की गई स्टडी की मानें तो पत्रकारों के लिए अफगानिस्तान दुनिया में सबसे ज्यादा असुरक्षित स्थान है।
अफगानिस्तान में इस साल करीब 15 पत्रकारों मारे जा चुके हैं। वहीं भारत में इस साल करीब 6 पत्रकार अलग अलग कारणों से अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। इतना ही नहीं भारत में इस साल कई पत्रकारों को तो शारीरिक रूप से प्रताड़नाएं और धमकियां भी मिल चुकि है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मार्च में बिहार के एक गांव में कवरेज करने गए नवीन निश्छल और विजय सिंह नाम के दो पत्रकारों को गांव के मुखिया ने अपनी कार से कुचलकर मार डाला तो वहीं उसी दिन मध्यप्रदेश में रेत माफिया के अवैध धंधों की रिपोर्टिंग कर रहे संदीप शर्मा नाम के पत्रकार को रेत माफिया ने ट्रक से कुचलकर मरवा डाला। इससे पूर्व संदीप ने पुलिस को शिकायत भी दी थी कि रेत माफियाओं से उसकी जान को खतरा है मगर पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की।
अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में भी दूरदर्शन के वीडियो जर्नलिस्ट अच्यूतानंद साहू की हत्या कर दी गई।
दुनियभर में पत्रकारों के मारे जाने का आंकड़ा बेहद भयावह है। बता दें कि इस साल दुनियाभर में 80 पत्रकार मारे जा चुके हैं। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि मारे गए 80 पत्रकारों में से 49 पत्रकार तो वो थे जिनकी रिपोर्टिंग से धनी और बड़े राजनीतिक हस्तियों को सीधा खतरा पहुंच रहा था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण जमाल कशोग्गी की हत्या है।
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