इतिहास के पन्नों पर दुनिया के कई लीडर्स का नाम विशेष रूप से दर्ज हैं, जिन्होंने अपने काम से उन पन्नों पर जगह बनाईं। हालांकि वो काम अच्छे हों, ये जरूरी नहीं। इसी में तानाशाही आती है और साथ में आता है एडोल्फ हिटलर का नाम। हिटलर कोई आम नेता नहीं थे। उनके बारे में दुनियाभर में कई कहानियां सुनाई जाती है। 20 अप्रैल को जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की 134वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास अवसर पर जानिए उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें…
एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 को ऑस्ट्रिया में पैदा हुआ था। जब वह 17 साल का था, उसके पिता का निधन हो गया। इसके बाद वह वियना आकर बस गया। इस दौरान उसे पैसों की भी तंगी रही। इसी कारण वह पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपने खर्चे चलाने लगा। यही वो समय था जब हिटलर के मन में साम्यवादियों और यहूदियों के प्रति घृणा ने जन्म लिया था। वो नफ़रत इतनी बढ़ी कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1933 में हिटलर समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी को सत्ता ले आया और जर्मन सरकार पर अपना कब्जा जमा लिया।
वर्ष 1933 में जर्मनी की सत्ता पर तो वो आ गया था, लेकिन उसके साथ आई थी उसकी घृणा। हिटलर ने एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। यहूदियों से उसकी नफ़रत नरसंहार में बदल गई। होलोकास्ट वो घटना थी, जिसमें 6 साल में 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई जिसमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे।
एडोल्फ हिटलर आज से दशकों पहले ही मीडिया और जनसंपर्क के महत्व को समझ चुका था और शायद इसी वजह से वो अपनी पब्लिक स्पीच देने से पहले उसकी रिहर्सल किया करता था। इस बात का भी खास ख्याल रखा जाता था कि उसकी वही फोटो अखबार में जाए, जिसमें वो आकर्षक लग रहा हो।
दूसरे विश्व युद्ध में हिटलर की स्थिति कमजोर पड़ गई थी और इसके बाद उसको हर वक्त मौत का डर भी सताता था। युद्ध में उसे हार का सामना करना पड़ा और कहा जाता है इसी के डिप्रेशन में उसने खुद को गोली मार ली। इससे महज कुछ घंटो पहले ही तानाशाह हिटलर ने अपनी प्रेमिका से शादी भी की थी।
एडोल्फ हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945 को खुद को गोली मार सुसाइड कर लिया। इसके बाद उसकी पत्नी ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली। हिटलर की परछाई आने वाले शासन पर पड़नी ही नहीं चाहिए। वो एक तानाशाह था और उसकी वजह से लाखों लोग युद्ध और नफ़रत की आग में झोंक दिए गए थे।
हिटलर जैसा नेता दुनिया में कभी दोबारा पैदा नहीं होना चाहिए। लोग एडोल्फ हिटलर का मजाक उड़ाते हैं और कई उससे गंभीर नफ़रत भी करते हैं, लेकिन इतिहास कभी भूल नहीं सकता है कि उसने अच्छे खासे समझदार माने जाने वाले जर्मनी लोगों को युद्ध की आग में डाल दिया। उस जमाने में लोग ‘हिटलर को मसीहा’ मानते थे।
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