ये हुआ था

बर्थ एनिवर्सरी: परवीन बाबी ने ‘बिग बी’ समेत कई नामचीन लोगों से अपनी जान को बताया था खतरा

अपने समय की मशहूर बॉलीवुड अदाकारा परवीन बाबी की आज 4 अप्रैल को 74वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वैसे तो उनकी गिनती हिंदी फिल्मों की कामयाब अभिनेत्रियों में की जाती हैं, परंतु परवीन की ज़िंदगी बहुत ही उतार-चढ़ाव वाली रहीं। परवीन बाबी पहली भारतीय एक्ट्रेस थीं, जिसे टाइम मैगजीन ने अपने कवर पेज पर जगह दी थी। परवीन फिल्म निर्माता महेश भट्ट के साथ प्यार में थी और उनके साथ ‘लिव-इन-रिलेशन’ में रहा करती थी।

लेकिन दोनों की प्यार भरी ज़िंदगी का काफी दुखद अंत हुआ, क्योंकि परवीन पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया नामक एक रोग से पीड़ित थी, जो उनकी मौत का कारण भी बनीं। परवीन बाबी के कई अफेयर तो हुए, लेकिन वह आजीवन कुंवारी ही रहीं। अभिनेत्री किसी के साथ अपना घर नहीं बसा पाईं। इस ख़ास अवसर पर जानिए बाॅलीवुड अभिनेत्री परवीन बाबी के जीवन के बारे कुछ रोचक बातें…

गुजरात में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ जन्म

अभिनेत्री परवीन बाबी का जन्म 4 अप्रैल, 1949 को गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित जूनागढ़ में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। परवीन (Parveen Babi) सिनेमाई पर्दे पर वह सब कुछ 70 के दशक में कर रही थीं, जो अपनी चाहत, आधुनिकता और आत्मनिर्भरता के नाम पर महिलाएं आज करना चाहती हैं। उनका बॉलीवुड करियर तीन दशक से ​भी अधिक रहा। इस दौरान उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं की, जो आज भी लोगों के जेहन में आती हैं। जिस जमाने में भारतीय सिनेमा में अभिनेत्रियां सलवार सूट और साड़ी पहन कर ही अभिनय करती थी, उस जमाने में परवीन हीे एक ऐसी अभिनेत्री थी जो पूरी तरह पाश्चात्य रंग-ढंग में नज़र आती थी।

परवीन बाबी को बॉलीवुड में पहला मौका वर्ष 1973 में फिल्म निर्देशक बीआर इशारा ने फिल्म ‘चरित्र’ में दिया। इसमें क्रिकेटर टर्न एक्टर सलीम दुर्रानी उनके अपोजिट नज़र आए थे। यह फिल्म तो फ़्लॉप हो गई, लेकिन परवीन का जादू सर चढ़कर बोलने लगा। इसके एक बाद परवीन को पहली सफलता वर्ष 1974 में रिलीज़ फिल्म ‘मजबूर’ से मिली, जिसमें उनके हीरो अमिताभ बच्चन थे।

परवीन का इन अभिनेताओं के साथ रहा अफेयर्स

बाबी फिल्मी करियर में कामयाब तो हुई, परंतु उनका निजी जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। अभिनेता डैनी के साथ उनका अफेयर चला। डैनी ने फ़िल्मफ़ेयर को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि परवीन बाबी और उनका साथ तीन-चार साल का रहा था। इसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए थे। डैनी के बाद परवीन बाबी की ज़िंदगी में अभिनेता कबीर बेदी आये। कबीर के साथ ब्रेकअप को अपने जीवन का टर्निंग प्वाइंट बताने वाली परवीन बाबी इसके बाद महेश भट्ट के प्यार में पड़ीं। दोनों का रोमांस वर्ष 1977 के आखिर में शुरू हुआ था।

महेश भट्ट के साथ रोमांस के दौरान ही परवीन बाबी को मानसिक बीमारी शुरू हुई थी, जिसे भट्ट ने अपने कई इंटरव्यू में पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया बताया। हालांकि, परवीन ने खुद को कभी इस बीमारी की चपेट में नहीं बताया। उन्होंने इतना जरूर माना था कि उन्हें आनुवांशिक मानसिक बीमारी ने चपेट में ले लिया था। वर्ष 1983 में परवीन बाबी ने बॉलीवुड को छोड़ दिया और वह कुछ समय तक बैंगलोर में रही। यहां से वह इलाज के लिए अमेरिका चली गई, पर उन्हें मानसिक बीमारी का कोई इलाज नहीं मिल सका।

परवीन मानती थी अमिताभ से अपनी जान को खतरा

अपनी बीमारी के दौरान ही परवीन बाबी ने अमिताभ बच्चन सहित दुनिया के नामचीन लोगों से अपनी जान को खतरा बताया था। वर्ष 1989 में परवीन भारत लौट आईं और साल 2005 तक मुंबई में रही। मानसिक बीमारी और सनक की हद तक अपनी शर्तों पर जीने वाली शकमिज़ाजी होने के बाद भी परवीन अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आत्मनिर्भर बनी रही, और किसी की मोहताज नहीं रहीं। हालांकि, एक दशक तक का स्टारडम और क़रीब 50 फिल्में उनके जीवन के सूनेपन को भर नहीं पाईं, यही अकेलापन उन्हें आखिरी समय तक सालता भी रहा।

अभिनेत्री परवीन बाबी ने ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया’ में अपना एक संस्मरण लिखा था- ‘मेरा करियर इससे बेहतर कभी नहीं रहा। मैं नंबर एक की रेस में हूं। बंबई में कोई ऐसी फिल्म नहीं बन रही है, जिसमें परवीन बाबी ना हो। लोग मेरी इस कामयाब वापसी से चकित हैं। कई लोग इसे मेरा लक बता रहे हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूं कि इसमें लक की कोई बात नहीं है, ये बिल्कुल पसीना और आंसू है जो टूटे दिल के साथ कठिन मेहनत से आई है।’ प्यार में बार-बार मिले धोखे और बीमारी की वजह से परवीन बाबी का 20 जनवरी, 2005 को मुंबई के जुहू में निधन हो गया। उनकी मौत का पता लोगों को तीन दिन बाद लगा, वो अपने घर में अकेली रहती थी।

क्या होता है सीजोफ्रेनिया?

सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक मानसिक बीमारी है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति वास्तविक और काल्पनिक वस्तुओं को समझने में भूल कर बैठता है। कई बार रोगी खुद में ही खोया-खोया रहता है। कई सामाजिक अवसरों पर वह तय नहीं कर पाता/ पाती कि उसे क्या प्रतिक्रिया देनी है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

  • सीजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित अलग-अलग व्यक्तियों में संकेत भी अलग-अलग होते हैं। इसमें लोगों के भीतर सिंपटम धीरे-धीरे महीनों या कई वर्षों में नजर आने लगते हैं।
  • इसमें रोगी को कुछ ऐसा देखना और सुनना जो वाकई वहां मौजूद न हो।
  • उसको ऐसा लगता हो जैसे लोग उसे छिप कर देख रहे हैं।
  • लिखते या बोलते समय कुछ मामलों में अजीबो-गरीब प्रकार से उलझ जाना।
  • व्यक्तित्व में बदलाव और शरीर को बेढंगे तरीके से रखना।
  • हर महत्वपूर्ण मौके पर अलग तौर-तरीके से रिएक्ट करना।
  • पढ़ाई-लिखाई से एकदम से अनमना हो जाना।
  • अपने नजदीकी और प्यार करने वालों से कटा-कटा रहना।
  • सोने या फिर ध्यान केन्द्रित करने में दिक्कतें आना।
  • रहस्यमयी चीजों या फिर धर्म से अनावश्यक जुड़ाव रखना।
  • रोगी को लगता है की उसके परिजन उसके शत्रु बन गए हैं जो अलग-अलग प्रकार से उसे प्रताड़ित करते हैं या मारना चाहते हैं।

आज पूरी दुनिया की जनसंख्या के एक फीसद लोग Schizophrenia से पीड़ित हैं।

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Raj Kumar

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