भारतीय फिल्मी दुनिया में एक दौर वो भी था, जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना गलत माना जाता था। उस समय अपनों के खिलाफ जाकर अपनी मेहनत से सबकी बोलती बंद कर देना कोई आसान बात नहीं थीं। लेकिन 50-60 के दशक की अदाकारा फ्लोरेंस एजेकेल यानि नादिरा ने ऐसा कर दिखाया था। वे अपने रौबदार अंदाज़ की वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री में ‘फीयरलेस नादिरा’ के नाम से मशहूर हुईं। नादिरा का असल नाम फ्लोरेंस एजेकेल था। हिंदी फिल्मों की अदाकारा अभिनेत्री नादिरा की आज 91वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस ख़ास अवसर पर जानिए नादिरा की जिंदगी के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
नादिरा का जन्म 5 दिसंबर, 1932 को इराक के बगदाद शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। लेकिन समय की नियति उनको भारत ले आई। उस समय महबूब खान देश की पहली रंगीन फिल्म ‘आन’ (1952) बना रहे थे। फिल्म की एक हीरोइन ‘निम्मी’ मिल गई थी और दूसरी के लिए नरगिस या मधुबाला के नाम पर विचार किया जा रहा था, लेकिन बात नहीं बनीं। तब बगदाद से एक शादी में शामिल होने के लिए भारत में आई 16-17 साल की नादिरा को महबूब खान ने अपनी फिल्म की हीरोइन बनाया।
नादिरा की मां को अभिनय के क्षेत्र में काम पसंद नहीं था। उनका मानना था कि फिल्मों में काम करना बुरा होता है और अब नादिरा ना तो कभी सिनेगांग (यहूदी पूजा स्थल) जा सकेंगी और ना ही कोई यहूदी उनसे शादी करने के लिए तैयार होगा। अपनी मां के इस बर्ताव पर नादिरा का कहना था कि फिलहाल तो हमारी बुनियादी जरूरत शाम के खाने का इंतजाम करना है। उनका मानना था, हो सकता है कि फिल्मों में काम करना बुरा है, लेकिन भूखा मरना उससे भी ज्यादा बुरा होगा।
महबूब खान ने ही फ्लोरेंस एजेकेल को एक नया नाम नादिरा दिया था। उन्होंने 1200 रुपए महीने की तनख्वाह पर अपनी फिल्म ‘आन’ के लिए नादिरा को साइन किया था। इस फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ कमाई कीं। यह पहली फिल्म थी, जो 17 भाषाओं के सब टाइटल्स के साथ 28 देशों में रिलीज हुईं। इस फिल्म का प्रीमियर लंदन में आयोजित किया गया था। भले ही शुरुआत में नादिरा के परिवार वाले भी उनके खिलाफ रहे, लेकिन इस फिल्म ने उन्हें रातों-रात बॉलीवुड की नई स्टार बना दिया था।
नादिरा को राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ (1956) में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका सिगरेट पकड़ने के अंदाज काफी मशहूर हुआ। यह फिल्म भी ब्लॉकबस्टर साबित हुईं, लेकिन इसने नादिरा के करियर की दिशा ही बदल दीं। दरअसल, फिल्म में वो नेगेटिव किरदार में थी, जिसके कारण उनके पास हीरोइन के प्रस्ताव आने ही बंद हो गए थे। कई महीनों उन्हें काम नहीं मिला, जिसके बाद वो खलनायिका की भूमिकाएं ही करने लगीं।
साल 2006 में 9 फ़रवरी के दिन बॉलीवुड अभिनेत्री नादिरा का निधन हो गया। उसके बाद बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष पीएम रूंगटा ने उनकी वसीयत सार्वजनिक की थी, जिसमें लिखा था कि नादिरा ने यहूदी होने के बावजूद खुद को दफनाने के बजाय हिंदू रीति-रिवाजों से जला कर अंतिम संस्कार करने की इच्छा जताई है। यह मामला काफ़ी संवेदनशील था। लिहाजा यहूदियों की द शेपर्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सोलोमन एफ सोफर को स्वीकृति के लिए सार्वजनिक बयान जारी करना पड़ा था।
Read: सिल्क स्मिता ने 70-80 के दशक में अपनी फिल्मों से मचाया था हंगामा, मौत आज भी है मिस्ट्री
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment