दूसरे हमें स्वीकार करें उससे ज्यादा जरूरी है हमारा खुद को स्वीकार करना। अगर हम हमेशा खुद में कमियां तलाशेंगे तो दूसरों की हर बात से आहत हो सकते हैं। हां, खुद को बेहतर बनाने की हमेशा कोशिश करनी चाहिए। मगर बेहतर बनाने के चक्कर में खुद की पहचान खत्म करना सही नहीं है।
कुछ दिनों पहले आयुष्मान खुराना की फिल्म देखी ‘बाला’ जोकि गंजेपन की समस्या को बताती थी। शायद आपने भी ये फिल्म देखी हो। इस फिल्म सबसे बड़ा संदेश था जो बेहद काले रंग की नायिका दे जाती है। नायिका बेहद काली है और सब उसके रंग को लेकर मजाक उड़ाते हैं। मगर वो आत्मविश्वास से भरपूर है सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने खुद को स्वीकार किया है। वो जैसी है ठीक उसी तरह। उस काली लड़की ने कभी खुद को गोरा प्रजेंट करने की कोशिश नहीं की। यही उस करेक्टर का सबसे मजबूत पार्ट था।
वहीं दूसरी तरफ एक गंजा आदमी अपना समय बाल उगाने और लोगों से भागने में बिता रहा था। हमारे अंदर भी ऐसी कई समस्याएं हो सकती हैं जिन्हे हम दूर नहीं कर सकते। हो सकता है आप दूसरों जितने अच्छे ना दिखते हों, मोटे हैं, छोटे हैं, अग्रेंजी कम जानते हैं, काले हों। ये जीवन ईश्वर की देन है। हम सब चेंज नहीं कर सकते। ये जीवन बहुत बड़ी देन है जो हमें मिला है। इसमें आप बहुत कुछ कर सकते हैं। हर इंसान खुद में खास है। कोई न कोई ऐसी चीज जरूर होगी जो आपको दूसरों से अलग बनाती है। मगर ये आपको नजर तभी आएगी जब आप खुद की खोज करेंगे। आइना देखने से पहले आपको खुद को देखना होगा आंखे बंद करके। जरूर आप जान जाएंगे कि आप कौन हैं और कैसे खास हैं।
खुद को बदलने से कहीं अच्छा है खुद को स्वीकार करना। जब आप ऐसा करेंगे तो आपकी बहुत सी मुश्किलें आसान हो जाएगी। आजमाकर देखिए…
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment