मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल अबुल फजल की 14 जनवरी को 469वीं जयंती हैं। उन्होंने तीन खंडों में ‘अकबरनामा’ की रचना की, जिसका तीसरा खंड आइन-ए-अकबरी कहलाता है। उन्होंने बाइबिल का फारसी में अनुवाद किया था। उनके बड़ा भाई फैजी भी अकबर के दरबार में थे, जो एक कवि था।
अबुल फजल का जन्म 14 जनवरी, 1551 को आगरा के नजदीक हुआ था। इनका परिवार 15वीं शताब्दी में सिविस्तान (सहवान), सिंध के पास रेल में रहता था। इनका पूरा नाम अबुल फजल इब्न मुबारक था। बाद में उनका परिवार राजस्थान के नौगार में आ बसा। उनके पिता शेख मुबारक थे।
वह बचपन से ही बहुमुखी व्यक्तित्व का धनी था। अबुल फ़ज़ल की आरंभिक शिक्षा अरबी भाषा में हुई और पांच साल की उम्र में वह पढ़ लिख सकता था। इस पर उनके पिता ने उनकी शिक्षा की अच्छी व्यवस्था की थी। उनके ज्ञान अर्जन की क्षमता काफी तेज थी और उन्होंने महज 20 वर्ष की आयु में पढ़ाना शुरु कर दिया था।
अबुल फजल शांत स्वभाव और एकांतप्रिय व्यक्ति थे। वह अपनी विद्वता के बूते पर वर्ष 1573 में मुगल बादशाह अकबर के दरबार में शामिल हो गया। उनकी असाधारण प्रतिभा और समर्पण से अकबर भी काफी खुश थे। वह एक इतिहासकार होने के साथ ही कुशल योद्धा था, उसने अकबर के कई युद्ध अभियानों का सफलतापर्वूक संचालन किया। उसके उदार धार्मिक विचारों का प्रभाव अकबर के धार्मिक विचारों पर देखने को मिले।
अकबर से अबुल फजल की नजदीकी शहजादा सलीम (जहांगीर) को खटकने लगी। इस वजह से सलीम ने वीर सिंह बुंदेला को अबुल फजल की हत्या के लिए उकसाया। वीर सिंह ने 12 अगस्त, 1602 को अबुल फजल की हत्या करवा दी। उनकी हत्या पर अकबर को काफी दुख पहुंचा।
अकबरनामा (आइने अकबरी)
रुकात
इंशा-ए-अबू फ़ज़ल
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