इंडिया के लोग फ्री का सामान, फ्री का खाना और फ्री के आफर्स के पीछे कितने पागल हैं ये हम सब जानते हैं। फ्री के चक्कर में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने एक बड़ा कांड किया।
बिरयानी में खुद ही डाल दी छिपकली जैसी मछली
रेलवे अपने खराब क्वालिटी के खाने के लेकर पहले ही बदनाम है। ऐसे में अगर कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई दावा करेगा तो उसको सही माना जाएगा। 70 साल के बुजुर्ग सुरेन्द्र पाल सिंह ने अपनी बिरयानी में छिपकली होने की शिकायत की। साथ ही वेज बिरयानी की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए रेलवे की निंदा की। मगर ये मामला इतना नॉर्मल नहीं था जितना नजर आ रहा है। दरअसल, सुरेन्द्र पाल ने खुद अपने खाने में छिपकली जैसी दिखने वाली एक मछली डाली और फिर मुफ्त बिरयानी खाने के चक्कर में इसकी शिकायत कर दी।
एक दिन पहले इसी आदमी के समोसे में निकली थी छिपकली
अब आप सोच रहे होंगे कि ट्रेन में कोई सीसीटीवी कैमरे तो लगे नहीं थे फिर इस बात का खुलासा कैसे हुआ? दरअसल, सुरेन्द्र ठीक ऐसा कारनामा एक दिन पहले भी किया था। 14 जुलाई को इसी शख्स ने जबलपुर स्टेशन पर समोसे में छिपकली होने की शिकायत की थी। जब दूसरे दिन फिर से वही शिकायत मिली तो रेलवे के अधिकारी भी सतर्क हो गए। रेलवे के एक मैनेजर ने इसके बाद क्रास चैक किया तो पता चला कि ये तो वहीं सज्जन हैं जिन्होंने एक दिन पहले समोसे में छिपकली मिलने का दावा किया था। अब इतना बड़ा संयोग तो हो नहीं सकता कि एक ही आदमी के साथ दो दिन के अंदर खाने में छिपकली मिल जाए।
रेलवे ने जब क्रास चेक किया तब हुआ खुलासा
वरिष्ठ विभागीय अधिकारी बसंत कुमार शर्मा ने बताया कि “एक ही व्यक्ति ने 14 जुलाई को पहले जबलपुर स्टेशन पर अपने समोसे में छिपकली मिलने का दावा किया और फिर उसी ने गुंटकल स्टेशन पर अपनी बिरयानी में भी छिपकली मिलने की शिकायत की। मुझे संदेह हुआ और मैंने उस व्यक्ति की तस्वीर साझा करते हुए वरिष्ठ डीसीएम को सतर्क किया। वह 70 साल के रहे होंगे और मुफ्त में भोजन पाने के लिये उन्होंने ऐसा किया।” अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि सुरेन्द्र कुछ समय से ऐसा कर रहे थे।
खुद को मानसिक रोगी बता रहा है ये शख्स
इस पूरी घटना के बाद एक वीडियो भी जारी हुआ है। इसवीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं बूढ़ा आदमी हूं, मानसिक रूप से अस्थिर हूं। मुझे ब्लड कैंसर है। कृपया मुझे जाने दो। पंजाब में एक आयुर्वेदिक दवा है। मैंने हड्डी रोगों और मानसिक बीमारियों को दूर करने की एक मछली का इस्तेमाल किया।” सुरेन्द्र ने यह दावा भी किया कि उनके पिता वरिष्ठ डीसीएम थे। अधिकारियों ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सुरेन्द्र मानसिक रूप से अस्थिर हैं या नहीं, जैसा कि उन्होंने दावा किया है। साथ ही यह भी अस्पष्ट है कि उन्हें ब्लड कैंसर है अथवा नहीं।
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