जब भी दुनिया के किसी बड़े आतंकी हमले की बात होती है, तो उसमें आतंक की जन्मस्थली पाकिस्तान की भूमिका सामने आती है। पाकिस्तान की टेरर फैक्ट्री आज पूरी दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत बन चुकी है। दुनिया के अधिकांश आतंकी संगठनों के अड्डे पाकिस्तान में ही है, इससे यह साफ़ जाहिर हो जाता है कि पाक आतंक का पनाहगार है और जैसे पूरी दुनिया में दहशतगर्दी करना उसका परम कर्तव्य है। इतिहास की दृष्टि से आज का दिन यानि 9/11 काला अध्याय है। 11 सितंबर, 2001 को पूरी दुनिया ने आतंक और दहशत का सबसे भयावह रूप देखा था।
18 साल पहले आज ही के दिन दुनिया की सबसे ताक़तवर महाशक्ति माने जाने वाले अमरीका पर सबसे ख़तरनाक आतंकी हमला हुआ था। यूएस में न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए इस आतंकी हमले में यह शानदार कॉम्प्लेक्स पलभर में ही राख हो गया था। पाकिस्तान के आतंकी संगठन अलकायदा के 9/11 हमले में सैकड़ों की संख्या में बेगुनाह नागरिक मारे गए।
इस हमले से पहले भी वर्ष 1993 में आतंकियों ने इसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के अंडरग्राउंड गैराज में एक ट्रक बम प्लांट किया था। जिसके ब्लास्ट में सात मंजिलों को नुकसान पहुंचा था और छह लोगों की मौत हुई थी। हमले में करीब 1,000 लोग घायल हुए थे। लेकिन उस समय इस कॉम्पलेक्स को नुकसान नहीं पहुंचा था। बाद में अमरीका की खुफ़िया एजेंसी एफबीआई ने हमले में शामिल सात आतंकियों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया था।
ओसामा-बिन-लादेन के आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकियों ने चार यात्री विमान अगवा कर लिए थे। इसके बाद आतंकियों ने चार में से दो विमानों को लोअर मेनहट्टन जिले के न्यूयॉर्क शहर में स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर कॉम्पलेक्स से टकरा दिए थे। जबकि तीसरा पेंटागन पर और चौथा विमान जंगल में गिरा दिया गया। अल कायदा के आतंकियों ने 11 सितंबर की सुबह 8:46 बजे, अमरीकी एयरलाइंस की फ्लाइट 11 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर और दूसरा विमान 9:03 बजे साउथ टॉवर से टकराया था।
जब विमान इस बड़े कॉम्पलेक्स से टकराया तो इसमें सवार यात्रियों समेत 2974 लोग मारे गए और करोड़ों डॉलर का भारी-भरकम नुकसान हुआ। मरने वाले लोगों में 343 फायर विभाग और 60 पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। वहीं, इस दुस्साहस हमले को अंजाम देने वाले 19 आतंकी भी इसमें मारे गए। हमले में मरने वाले लोगों में 70 देशों के नागरिक शामिल थे।
हमले के बाद अमरीकी जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में सामने आया कि 9/11 का मास्टर माइंड खालिद शेख मोहम्मद था। वह अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन का ख़ास था। अमरीका पर इस हमले की तैयारी साल 1996 में ही शुरू हो चुकी थी। इस खौफनाक हमले को अंजाम देने वाले अलकायदा प्रमुख ओसामा के 19 हाइजैकर्स शामिल थे, जिसमें 15 सऊदी अरब और बाक़ी यूएई, इजिप्ट और लेबनान के रहने वाले थे। इन आतंकियों का नेतृत्व मिस्र का मोहम्मद अत्ता था, जो एक विमान को उड़ा भी रहा था। वह अपने साथी आतंकियों के साथ इस हमले में मारा था।
उस वक़्त के अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने हमले के बाद ठान लिया था कि सरगना ओसामा बिन लादेन और उसके आतंकी संगठन अलकायदा को जल्द ही खत्म करना है। लेकिन इस मिशन को पूरा करने के लिए अमरीका को काफ़ी पसीना बहाना पड़ा। वर्षों तक ओसामा और उसके साथियों का पता लगाने में अमरीका नाक़ाम रहा। लेकिन अमरीका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में उसे ढूंढ निकाला गया। हमले के करीब 10 साल बाद 2 मई, 2011 को अमरीका की नेवी के सील कमांडोज ने पाकिस्तान के एबटाबाद में छुपे ओसामा को एक गुप्त कार्रवाई में मार गिराया था।
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पूर्व अमरीकी नेवी सील कमांडो रॉबर्ट ओ’नील ने ओसामा बिन लादेन की मौत पर कुछ साल पहले खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि ओसामा के सिर पर उसने तीन गोलियां मारी, जिससे उसके चिथड़े-चिथड़े उड़ गए थे। अमरीका पर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले का दिन 9 सितंबर होने कारण इसे 9/11 का हमला कहा जाता है। इसके बाद भी कई आतंकी हमले इसी दिन किए जा चुके हैं। इस दिन को अब अमरीका 9/11 मेमोरियल-डे के रूप में मनाता है।
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