देशभर में 2 सितंबर से गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है जिसकी धूम अगले दस दिन तक रहने वाली है। महाराष्ट्र का गणेश उत्सव पूरी दुनियाभर में जाना जाता है। ना सिर्फ देशी बल्कि विदेशी पर्यटक भी यहां की गणेश चतुर्थी देखने आते है। दस दिन तक चलने वाले इस त्योहार में यहां की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। सैर-सपाटे का शौक रखने वाले और डिफरेंट कल्चर का अनुभव लेने वाले लोगों को एक बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर महाराष्ट्र जरूर जाना चाहिए।
यदि आप इस वीकेंड कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में गणेश मंदिर की एक श्रृंखला है जिसे अष्टविनायक मंदिर कहा जाता है। ये आठ मंदिर 110 किमी, के दायरे में स्थित हैं। इन मंदिरों की आध्यात्मिक सैर आपकी बिजी लाइफ में शांति लाने का काम करेगी। महाराष्ट्र के ये गणेश मंदिर अपनी अलग अलग विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर पुणे से करीब 200 किमी की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र सिद्धटेक गावं के अंतर्गत आता है। यह अष्टविनायक के दूसरे गणेश जी हैं। यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है। मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर की दिशा में है। गणेशजी की मूर्ति 3 फीट ऊंचीं और ढाई फीट चौड़ी है। यहां दूर-दराज से लोग गणेश जी के दर्शन करने आते हैं।
श्री बल्लालेश्वर मंदिर मुंबई-पुणे हाइवे पर रायगढ़ जिले के पाली गांव में स्थित है। इस मंदिर के नाम को लेकर एक रोचक बात ये है कि मंदिर का नाम उनके भक्त बल्लाल के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है कि इस जगह गणेश जी ने अपने भक्त बल्लाल की रक्षा की थी। मंदिर को जो खास बनाती है वो ये है कि सूर्य की पहली किरण गणेश जी की मूर्ति पर पड़ती है।
मयूरेश्वर के नाम से प्रसिध्द यह मंदिर पुणे से करीब 80 किमी, की दूरी पर है। इस मंदिर में गणेश जी की तीन आँख और चार भुजाओं वाली मूर्ति है। इस मंदिर को खास बनाते हैं यहां स्थित चार द्वार। जो सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग के प्रतीक कहे जाते हैं। मान्यता है कि यहां शिवजी और नंदी विश्राम के लिए रुके थे।
अष्टविनायक मंदिरों में से एक वरदविनायक मंदिर कोल्हापुर में स्थित है। मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां कई सालों से एक अखंड ज्योत प्रज्जवलित है। यहां प्राकृतिक सुंदरता का एक शानदार नजारा देखने को मिलता है।
यह मंदिर पुणे जिले के हवेली जगह पर स्थित है। यहां भीम, मुला और मुथा नामक तीन नदियों का संगम होता है। मान्यता है कि यहां स्वंय ब्रह्हा ने अपने विचलित मन को काब करने के लिए यहां तप किया था।
अष्टविनायक मंदिर के आठवें गणेशजी हैं महागणपति। जो पुणे के पास रांजणगांव में स्थित है। मंदिर का प्रवेशद्वार पूर्व दिशा की ओर है। मंदिर का विशाल और भव्य स्वरुप लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है।
यह मंदिर पुणे से करीब 90 किलोमीटर दूर लेण्याद्री पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर कई बौध्द गुफाएं हैं। इन गुफाओं की 8वीं गुफा में यह मंदिर स्थित है। मंदिर में दर्शन करने के लिए करीब 300 से अधिक सीढ़ियां चढनी पड़ती है।
यह मंदिर पुणे के ओझर जिले में जूनर क्षेत्र में स्थित है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां गणेश जी ने विघनासुर नामक राक्षस को मारा था। इसिलिए इस मंदिर को विघ्नेश्वर मंदिर कहा जाता है।
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