भारत में सैक्स एजुकेशन को लेकर काफी समय से बातें हो रही हैं। मगर अब भी ज्यादातर जगहों पर इसे एक टैबू की तरह ट्रीट किया जाता है। हाल ही में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि 10 में 6 पैरंट्स अपने बच्चों से सेक्स एजुकेशन के बारे में बात करना पसंद नहीं करते। यह स्टडी डिजिटल मीडिया की वजह से बच्चों के स्वभाव में आ रहे बदलाव को लेकर की गई है।
इस स्टडी के मुताबिक, 2 में से 1 बच्चा रोजाना अपना 2 से 3 घंटा इंटरनेट के सामने बिताता हैं। वहीं ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन गेम्स भी खेलते हैं। 10 में से 9 पैरंट्स ने माना है कि इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान जो पॉप—अप आते हैं, उनमें बच्चों के सामने कई तरह का अनचाहा कॉन्टेंट भी आता है। इसके बावजूद पैरंट्स बच्चों को सेक्स एजुकेशन नहीं दे पा रहे हैं।
दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद और पुणे जैसे देश के 8 बड़े शहरों में की गई इस स्टडी के ज़रिये बच्चों के अधिकार, उनकी देखभाल और उनकी शिक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। 14 नवंबर को बाल दिवस के मौके पर वेलॉसिटी एमआर ने यह स्टडी जारी की जिसमें 2 हजार 268 लोगों ने अपनी बात रखी।
इस दौरान करीब 60 प्रतिशत माता-पिता ने यह भी माना है कि ऑनलाइन गेम्स की वजह से उनके बच्चों के स्वभाव पर गलत असर पड़ रहा है। करीब 55% पैरंट्स का कहना है कि उनके बच्चों ने इंटरनेट का इस्तेमाल करना 6 से 10 की उम्र के बीच शुरू कर दिया था। इसके बावजूद भी वो अपने बच्चों से सैक्स के बारे में बात करने से कतराते हैं। वहीं 15 से 17 साल के बच्चों के माता-पिता में से सिर्फ एक तिहाई पैरंट्स ही इस टॉपिक पर बच्चों से बात करते हैं।
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