यह बात सही है कि वर्तमान में कई शिक्षकों ने समाज में सबसे इज्ज़तदार पेशे में से को कलंकित किया है। लेकिन अभी देश में ऐसे शिक्षकों की भी कमी नहीं हैं जो अपने पेशे को सबसे बढ़कर मानते हैं। ऐसी ही एक शिक्षिका है ओडिशा की बिनोदिनी समल। 49 वर्षीय की यह शिक्षिका पढ़ाने के लिए रोज़ाना नदी पार कर स्कूल पहुंचती है। बिनोदिनी जिस राठियापाल प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने जाती है वहां छात्रों की कुल संख्या मात्र 53 हैं। लेकिन बरसात के दिनों में वह गले तक भरी सापुआ नदी को रोज़ाना पार स्कूल पहुंचती है।
बिनोदिनी समल का कहना है कि उनके लिए कर्तव्य मायने रखना है, पानी उसे रोक नहीं सकता। उन्होंने बताया कि बहुत मर्तबा भीगने के कारण वह कई बार बीमार भी हुईं, लेकिन उसने छुट्टी नहीं ली। बिनोदिनी के मुताबिक़, राठियापाल प्राथमिक विद्यालय उनके घर जरियापाल गांव से 3 किलोमीटर दूरी पर है। वह स्कूल में अनुबंध के आधार पर गणित शिक्षक के तौर पर पढ़ा रही हैं। उन्हें सैलरी के रूप में मात्र 7000 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है। ओडिशा सरकार के शिक्षा विभाग ने अनुबंध के आधार पर बिनोदिनी की नियुक्ति साल 2000 में की थी, लेकिन वह इस विद्यालय में 2008 से पढ़ा रही हैं।
बिनोदिनी समल पिछले साल 11 साल से स्कूल पहुंचने के लिए इसी रास्ते से गुजरी। उनका कहना है कि मानसून में स्थिति और भी खराब हो जाती है जब पानी गर्दन तक पहुंच जाता है। उनका कहना है मेरे लिए मेरा काम ही सबकुछ है, घर पर बैठकर करने को मेरे पास कुछ नहीं है। जब मैंने शिक्षक के रूप में कॅरियर की शुरूआत की थी, तब पारश्रमिक के तौर पर 1700 रुपए प्रति महीना मिलता था। उन्होंने कहा कि नदी पर 40 मीटर लंबा पुल बनाने के लिए काफ़ी समय पहले प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब तक निर्माण नहीं हुआ है।
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बिनोदिनी ने बताया कि गर्मी के समय पानी कम हो जाता है या कई बार सूख जाता है, लेकिन मानसून और इसके बाद कई महीनों तक ऐसी ही स्थिति बनी रहती है। स्कूल में फिलहाल दो शिक्षक ड्यूटी पर है। बिनोदिनी के अलावा हेडमास्टर काननबाला मिश्रा की भी यहां ड्यूटी है। बरसात के दिनों में कई बार स्टूडेंट्स और हेडमास्टर स्कूल नहीं पहुंच पाते, लेकिन बिनोदिनी कभी अनुपस्थित नहीं रही है।
हाल ही में नदी पार करते वक़्त बिनोदिनी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। बिनोदिनी समल भरी नदी को पार करते समय हमेशा एक जोड़ी कपड़े और मोबाइल अपने प्लास्टिक बैग में रखती है। वह बैग को सिर पर रखकर नदी पार करते हुए पढ़ाने के लिए स्कूल पहुंचती हैं।
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