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33 साल बाद आखिर क्यों बंद हुई भारतीय सेना की यह जिप्सी

मारुति सुजुकी देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है। मारुति ने अपनी लोकप्रिय ऑफ रोड SUV जिप्सी का उत्पादन आधिकारिक रुप से बंद कर दिया है। कंपनी ने इस बारे में अपने सभी डीलरशिप को इमेज के माध्यम से सूचना दी है। कंपनी ने सभी डीलर्स को निर्देश दिए हैं कि वो अब मारुति सुजुकी जिप्सी की कोई भी बुकिंग न लें क्योंकि कंपनी ने अब इस एसयूीव का उत्पादन बंद कर दिया है।

मारुति सुजुकी ने 33 वर्ष पहले 1985 में जिप्सी को भारत में लॉन्च किया था। तब से इस एसयूवी को कंपनी ने कई बार अपडेट किया। यह सामान्य लोगों के साथ-साथ भारतीय सेना की पहली पसंद रही है।

यह है जिप्सी का उत्पादन बंद करने का कारण
जिप्सी एसयूवी का तीसरा जनरेशन मॉडल 1998 में बाजार में आया था। कंपनी ने भारत में जिप्सी को अपडेटेड क्रैश टेस्ट के चलते और बीएस 6 नॉर्म्स मानकों पर खरी नहीं उतरती है। ऐसे में एसयूीव में बदलाव किया जाएगा तो इसके लिए कंपनी को खासी मेहनत करनी होगी। इन कारणों से कंपनी को जिप्सी एसयूवी को पूरी तरह से बदलना पड़ेगा, जिसमें काफी खर्चा वहन करना पड़ सकता है, ऐसे में कंपनी ने इसका उत्पादन बंद करना ही सही समझा।

भारतीय सेना में शामिल हुई जिप्सी
जिप्सी को भारतीय सेना ने पहली बार 1991 में अपने बेडे में शामिल किया था। अब तक कंपनी भारतीय सेना को लगभग 35 हजार से ज्यादा जिप्सी एसयूवी की आपूर्ति कर चुकी है। बाद में भारतीय सेना ने महिन्द्रा स्कॉर्पियो और टाटा सफारी से अपनी व्हीकल्स को रिप्लेस किया। वैसे जिप्सी एसयूवी की मांग अभी भी बनी हुई है, जो सेना की ओर से पिछले वर्ष 3,200 जिप्सी एसयूवी का ऑर्डर मिला था।

वे खूबियां जिनसे जिप्सी भारतीय सेना की पहली पसंद बनी

भारतीय सेना में जिप्सी के सॉफ्ट टॉप वर्जन को सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया है। जिसका वजन इसका अन्य के मुकाबले कम वजन यानि यह मात्र 985 किलोग्राम है। इसके हार्ड टॉप वर्जन का वजन 1020 किलोग्राम है। जिप्सी का कम वजन इसे अग्रेसिव और मुश्किल रास्तों पर चलने के लिए आसान बनाता है।

इसके कम वजनी होने के कारण ही इसे कम पावर वाले हेलिकॉप्टर या एयरक्राफ्ट की मदद से आसानी से ऊंचाई वाली जगहों पर भी ले जाया जा सकता है।

भारी एसयूवी की तुलना में इसे रेगिस्तान, कीचड़ और बर्फीले वाले रास्तों पर आसानी से चलाया जा सकता है।

जिप्सी 500 किलोग्राम तक के वजन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की क्षमता रखती थी। सेना के दूरदराज के इलाकों में आमतौर पर रोजाना हथियार और राशन लेकर आना-जाना इसी एसयूवी से होता था।

यह अपने वजन से आधे से भी ज्यादा भार उठाने की क्षमता रखती थी इसलिए यह भारतीय सेना की पसंद भी बनी हुई थी।

जिप्सी में 16-वॉल्व MPFI G13BB पेट्रोल इंजन है, जो 80 Bhp का पावर और 103 Nm टॉर्क जनरेट करता है। चूंकि सेना काफी कम टेंपरेचर में भी काम करती है, इसलिए डीजल की तुलना में पेट्रोल इंजन ज्यादा बेहतर होता है।

Rakesh Singh

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