आज के इस दौर में जहां ईमानदारी और इंसानियत की राह पर चलने वाले लोग बहुत ही कम नज़र आते हैं। वहीं, कभी-कभार ऐसे लोग भी उदाहरण बनकर सामने आ जाते हैं जिनकी कहानी के बारे में सुनकर हर कोई चौंके बगैर नहीं रह सकता। जी हां, ऐसा ही एक उदाहरण हाल में देखने को मिला है। करीब दो दशक से देश के बाहर रह रहे इस युवक ने जो किया है वह आज के युग में बेईमान होते लोगों के लिए प्रेरणादायक हो सकता है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला..
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में रावतसर कस्बे के एक युवक संदीप ने कमाल की मिसाल कायम की है। संदीप नाम के इस युवक ने अपने पिता मीताराम के 18 साल पुराने कर्ज के 55 लाख रुपये व्यापारियों को चुकाए हैं। इस युवक के पिता ने कर्ज से परेशान होकर 18 साल पहले कस्बा छोड़ दिया था और वे नेपाल चले गए थे।
रावतसर निवासी संदीप के पिता मीताराम की रावतसर में जमालिया ट्रेडिंग के नाम से कंपनी थी। वर्ष 2001 में व्यापार में घाटा होने और देनदारियां बढ़ने के कारण मीताराम अचानक रात को रावतसर छोड़कर पड़ोसी देश नेपाल चले गए। मीताराम ने वहां फिर नए सिरे से उठ खड़े होने का प्रयास किया और किराने की दुकान खोली। लेकिन कर्ज ना चुका पाने की टीस उनके मन में बनी रही। रावतसर से नेपाल जाने के करीब छह साल बाद मीताराम की अचानक मौत हो गई।
सेठ मीताराम ने जब रावतसर छोड़ा था उस समय संदीप की उम्र महज 12 वर्ष थी। लेकिन वह समझदार हो चुका था। उसने वहां 12 साल की उम्र में ही मोबाइल की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। संदीप के मन में पिता के कर्ज चुकाने की चिंता हमेशा बनी रहती थी। संदीप ने पिता की मौत के बाद नेपाल में ही दिन-रात मेहनत कर खुद का व्यवसाय कर अच्छे पैसे कमाए। अच्छी स्थिति में आने के बाद हाल ही में पांच दिन पहले 5 जून को संदीप अचानक रावतसर वापस पहुंचा। उसने कस्बे के व्यापार मंडल अध्यक्ष से संपर्क साधा और अपने पिता मीताराम का कर्ज चुकाने की बात उनसे कही।
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नेपाल में अपना अच्छा बिजनेस सैटअप कर चुके संदीप ने रावतसर व्यापार मंडल अध्यक्ष से साफ कहा कि जो भी व्यापारी उसके पिता से कर्ज मांगता है वो आए और अपना पूरा पैसा वापिस ले लें। रावतसर के इन व्यापारियों को एकाएक तो विश्वास नहीं हुआ, लेकिन फिर वे संदीप से मिले। संदीप ने अपने पिता के 18 साल पुराने कर्ज के करीब 55 लाख रुपये रावतसर के विभिन्न व्यापारियों को चुकाए। संदीप की ईमानदारी पर खुशी जताते हुए रावतसर व्यापार मंडल ने उसे सलाम करते हुए सम्मानित भी किया।
आज के दौर में जहां लोग बेईमानी का मौका ढूढ़ते हैं वहीं संदीप जैसे लोग भी हैं जो अपने पिता का लाखों का कर्ज को पूरी ईमानदारी से चुकाने के लिए करीब 2 दशक बाद भारत आता है और पाई-पाई चुकाता है। संदीप की नेक नियत को हमारा सलाम।
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