भारतीय राजनीति की रियल स्क्रिप्ट कैसे लिखी जाती है इसका तो अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है मगर फिल्मों के जरिए कई बार राजनीति को करीब से समझाने की काफी अच्छी कोशिशें की जा चुकी हैं। अतीत में कई ऐसी आॅफबीट फिल्में बन चुकी हैं जिन्हें देखने के बाद आप देश की राजनीति का प्रतिबिंब तो समझ ही सकतें हैं। दमदार एक्टिंग और किरदारों से भरी फिल्मों ने बॉक्स आॅफिस पर तो इतनी लोकप्रियता नहीं कमाई लेकिन देश में नेट क्रांति आने के बाद इन फिल्मों का जबरदस्त क्रेज अचानक से बढ़ गया जिनमें कई फिल्में तो 90 के दशक में बनीं थी। चुनावी मौसम में इन फिल्मों को देखने के बाद हो सकता है आपका नजरिया भी बदल जाए लेकिन इतना जरूर है कि पॉलिटिकल थ्रिलर्स में शानदार सस्पेंस और एक्टिंग आपको दीवाना बना देगी।
शशि कपूर अभिनित इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर मेल अवॉर्ड से नवाजा गया था। फिल्म में शशि अखबार के ऐसे संपादक की भूमिका में थे जिसे राजनीतिक दबावों के कारण पत्रकारिता के सिद्धांतो से दूर होना पड़ता है। फिल्म को रोमेश शर्मा द्वारा निर्देशित किया गया था।
साल 2003 में आई तिग्मांशू धूलिया निर्देशित इस फिल्म में छात्र राजनीति और मुख्यधारा की राजनीति को समझाने की एक छोटी सी कोशिश की गई। फिल्म में जिमी शेरगिल, इरफान खान, आशुतोष राणा समेत कई कलाकार ऐसे हैं जिन्होनें शानदार एक्टिंग का जलवा दिखाया।
राजस्थान की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म गुलाल डार्क मूवीज के शहंशाह माने जाने वाले अनुराग कश्यप की शानदार फिल्मों में से एक थी। केके मेनन, पीयूष मिश्रा, अभिमन्यू सिंह, दीपक डोबरियाल जैसे अनेक दमदार एक्टर्स से भरी इस फिल्म में राजस्थान की राजनीति को बेहद करीब से दिखाया गया है। ये फिल्म देखना इसलिए भी बनता है क्योंकि इसका बैकग्राउंड म्यूजिक और डॉयलॉग्स रौंगटे खड़े कर देते हैं।
बॉक्स आॅफिस पर ज्यादा सफल नहीं हो पाई दिबाकर बैनर्जी की इस फिल्म ने इंटरनेट पर धूम मचा दी। बाजारवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बनी इस फिल्म की कहानी छोटे छोटे पहलुओं से होते हुए बड़े पहलू पर आकर जब खत्म होती है तो पता चल जाता है कि देश में समस्याओं के कारण कैसे कैसे और किस तरह के हैं।
1996 में आई गुलजार की ‘माचिस’ सिख दंगो और खालिस्तान बनने के पीछे के कारणों पर बुनी गई है। फिल्म में ओम पुरी, कुलभूषण खरबंदा,चंद्रचुड़ सिंह,तब्बू, राज जुत्शी जैसे दमदार एक्टर्स है और फिल्म की कहानी भी काफी मार्मिक है।
नाना पाटेकर, रणबीर कपूर, मनोज वाजपेयी, अजय देवगन की जैसी बड़ी स्टार कास्ट वाली ये फिल्म नहीं देखी तो कुछ नहीं देखा। यूं समझ लीजिए के राजनीति में परिवार और वंशवाद की परंपरा का चित्रण इस फिल्म में भरपूर दिखाया गया है वहीं राजनीतिक दांव पेंचो को भी इस फिल्म के जरिए बखूबी समझा जा सकता है।
प्रकाश झा की एक और दमदार प्रस्तूति गंगाजल बिहार में गुंडाराज और नेतागिरी को करीब से दिखाती है। अजय देवगन, यशपाल शर्मा और मोहन जोशी के दमदार अभिनय के कारण फिल्म वास्तविकता का परिचय कराने में कामयाब हुई।
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